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हरेश कुमार
तुम क्या जानो साहब गरीबों का दर्द क्या होता है।
कभी वातानुकूलित कमरों से बाहर निकलकर तो देखो।।
जिन्होंने अपने फूल से बच्चों को देश की हिफाजत को भेजा है,
कभी उसके बारे में सोचा है तुमने।
सोचोगे भी कैसे, जब तक खुद पर नहीं बीतती,
ये सब किताबों की बातें लगती है।
तुम्हें तो बस एक-दूसरे को लड़ाने से फुर्सत ही नहीं मिली
जो कभी इनके बारे में सोचते।।
एक बार जब देशवासियों का गुस्सा फूटेगा
तब तुम्हारे बहरे कानों में इसकी जोरदार गूंज सुनाई देगी,
लेकिन तब इतना वक्त नहीं होगा तुम्हारे पास
कि खुद को बचा सकोगे
इनके गुस्से से,
देशवासियों की नज़रों में
तुम इतना गिर चुके हो कि
हमारे प्रतिनिधि बनने के लायक नहीं रहे अब तुम
बहुत देखा, तुम्हारी कुटिलता और महानता को
बहुत मौका दिया तुम्हें परखने और सेवा करने का
लेकिन तुमने हर बार देश को निराश ही किया।।
हर विदेशी आक्रमण के वक्त
तुम्हारे मुंह से यही निकला
अबकी बार कुछ किया तो देख लेंगे
सारे रिश्ते-नाते तोड़ लेंगे
लेकिन ये क्या?
तुम्हें, देश की चिंता कहां तुम्हें
तो अपने वोट बैंक की पड़ी है
फिर चुनाव आने वाला है
कहीं तुम्हारा समर्थक तुमसे नाराज ना हो जाए
सो, दो चार मरते हैं
तो मरने दो
कौन सा तुम्हारे परिवार का जाता है
पांच, दस लाख दे देंगे
वो भी कौन सा तेरे बाप का है।
ज्यादा से ज्यादा हुआ तो किसी सड़क का नाम
शहीदों के नाम पर रख देंगे
इससे भी ना हुआ तो पेट्रॉल पंप ही दे देंगे।
आखिर, उनके प्रति सहानुभूति भी तो दिखानी है
देशप्रेम भी तो कोई चीज होती है
फिर, विपक्ष कहीं तुमसे बढ़त ना ले जाए
तो आंकड़ों को तोड़-मरोड़ करके उसके शासन में
हुए हमलों को भी दिखाना है
बंद करो ये बकबास
बहुत हो चुका
अब हम तुहारी कोई बात सुनने को तैयार नहीं।
आखिर, हमारे सब्र का बांध अब टूटने को है।
संभल जाओ वक्त रहते,
वरना वक्त ना मिलेगा तुम्हें संभलने को।
शहीदों पूरा देश आपके साथ है
हम आपके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि व्यक्त करते हैं
नमन करते हैं
वीर-सपूतों को जिन्होंने अपने प्राणों को
देश की खातिर न्यौछावर कर दिया
और उन परिवारों को जिनके पूत देश के लिए शहीद हुए
जय हिंद, जय भारत।।
हम सदा आपके ऋणी रहेंगे।।
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