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नवरात्रि और उगाही का धंधा

http://information2media.blogspot.in/2012/04/blog-
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हरेश कुमार

यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता का निवास होता है। नवरात्रि के अवसर पर माता की पूजा को इसी भावना से की जाती है।

वैसे तो नवरात्रि की पूजा पूरे देश में धूम-धाम से मनायी जाती है लेकिन बिहार और बंगाल में नवरात्रि के अवसर पर, महीना भर पहले से ही इसकी तैयारी की जाती है।

इसके लिए, क्या बच्चे और क्या बूढ़े और जवान, यहां तक कि महिलायें भी अपने-अपने स्तरों पर विशेष तौर पर तैयारी करती है। घरों की सजावट से लेकर, माता के साज-श्रृंगार तक के लिए। बच्चे साल भर से इस अवसर का इंतजार करते हैं। स्कूलों में इस अवसर पर छुट्टी हो जाती है। सो बच्चे फ्री होकर इसका भरपूर आनंद लेते हैं।

व्यवसायी समुदाय भी इस अवसर का लाभ लेने के लिए अपने स्तर पर विशेष तैयारी करते हैं। फूलों के हार-श्रृंगार से लेकर पूजा-पाढ़ की सामग्री की बिक्री इन दिनों काफी बढ़ जाती है। माहौल काफी भक्ति भाव लिए होता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो आप इस अवधि के दौरान कहीं भी चले जायें। क्या दिन, क्या रात? हर समय भक्ति के संगीत गूंजते रहते हैं और एक असीम आनंद का अनुभव होता है।

एक तरफ जहां, नवरात्रि के अवसर पर माता के विभिन्न रूपों की विशेष तौर पर पूजा की जाती है। वहीं दूसरी तरफ एक ऐसा वर्ग भी है जो साल भर पहले से इस दौरान वसूली के लिए नए-नए तरीके इजाद करता है। थोड़ी-थोड़ी दूर पर ही सड़कों पर आपको बांस-बल्ले से घिरा हुआ और हॉकी के डंडों से लैस अपराधी स्वभाव के लोग मिलेंगे, जो इस दौरान वसूली में लगे होते हैं। उन्हें स्थानीय स्तर पर नेताओं का समर्थन भी प्राप्त होता है जिससे कि वे निर्भीक होकर वसूली करते हैं।

और ऐसे में, अगर कोई व्यापारी समुदाय आनाकानी करता है तो उसे हर तरह की धमकी देते हैं, बेचारा मरता क्या ना करता। पुलिस भी तो उसे कुछ ले-देकर मामले को निपटाने को कहती है। बेचारा कहां जाए, किससे अपनी फरियाद करे?
गांव के बगीचों में फूलों की चोरी इस अवसर पर आम हो जाती है। सो, फूलों वाले तो एकदम सुबह से ही इसकी निगरानी करते हैं। कुल मिलाकर, माहौल भक्तिभाव लिए होता है। जय माता दी।

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