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हरेश कुमार
जिस देश में लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो पा रही है उसके लिए, शिक्षा का अधिकार की बात करना बेमानी सा है। एक तरफ, इस देश में, बुंदेलखंड, कालाहांडी और लातूर जैसे भूभाग हैं जहां लोगों को सिचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है जिससे कि वे खेती कर सके और अपने परिवार के लिए कम से कम दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर सके। लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि इनके लिए जो योजनायें बनती हैं उनपर देश के मंत्रियों की नजर लगी होती है या दूसरे शब्दों में कहें तो मंत्री जी ऐसी योजना कागजों में बनाकर देश का लाखों करोड़ डकार जाते हैं। अभी हाल ही मे, कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनको लेकर इन नेताओं के बारे में देशवासी चिंतित हो उठे हैं।
पहला – महाराष्ट्र में सिंचाई के लिए कई योजनायें कागजों में बनाकर कई लाख करोड़ रुपये डकार गए और सामने आने पर इस्तीफा की नौटंकी करने लगे। इस मामले में पक्ष-विपक्ष की भूमिका जाहिर है। बिना विपक्ष की सहमति के इतना बड़ा घोटाला कभी नहीं हो पाता।
दूसरा – सलमान खुर्शीद की पत्नी के द्वारा विकलांगों के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए पैसे को फर्जी हस्ताक्षर करके निकाल लिया गया। क्या बिडंबना है कि सबकुछ जानते हुए भी अधिकारी इस मामले पर अपनी चुप्पी साधे रहे क्योंकि मामला कानून मंत्री से जुड़ा था।
तीसरा – हरियाणा में बढ़ते बलात्कार पर सोनिया गांधी ने कहा कि ऐसे मामले पूरे देश में हो रहे हैं। राजनीतिज्ञों की मन:स्थिति को समझने के लिए ये शब्द काफी हैं।
दलितों के वोटबैंक औऱ आगामी चुनाव को देखते हुए, कांग्रेस और विरोधी पार्टियों के नेता इस तरह की हरकतें कर रहे हैं उन्हें लोगों की भावनाओं से कुछ लेना देना नहीं है। तभी तो हरियाणा के कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि 90 प्रतिशत रेप आपसी सहमति से होता है। क्या सोच है? इसके लिए, उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए।
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