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जल्द से जल्द सब कुछ पाने की चाह ने……………………!

http://information2media.blogspot.in/2012/04/blog-
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हरेश कुमार

जल्द से जल्द सब कुछ पाने की चाह ने, उसे कहीं का ना छोड़ा।

अभी तो ठीक से उसके पंख भी नहीं आए थे,

कि आसमानों में उड़ना शुरू कर दिया था उसने।

उसकी चाहतों को कुटिल नजरों से पहचान लिया था,

समाज के कथित ठेकेदारों ने,

और हौसलाअफजाई के बहाने

उसके जिस्म से खेलने लगे थे।

जब तक वो समझ पाती, बात बहुत आगे बढ़ चुकी थी।

अब ना तो वो अपनी पुरानी दुनिया में लौट सकती थी,

ना ही सभ्य समाज उसे चैन से जीने देता।

समाज के ठेकेदारों ने उसके दामन को कलंकित करने के साथ-साथ

उसके परिवार को भी दागदार कर दिया था।

ऐसे में उसके पास रास्ता ही कहां बचा था,

बहुत सोचा, उसने। मगर कुछ ज्यादा सोचने के लिए था भी नहीं।

परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही थी,

आसमान को जल्द से छू लेने की उसे इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी,

शायद उसे इसका अंदाजा नहीं था।

खैर, अब तो यादें ही शेष रह गई है।

कितने नाजों से पाला था और कितने अरमान थे, माता-पिता के।

सब अरमानों का गला घोंट दिया,

और दुनिया को असमय ही अलविदा कह गया।

क्या अब भी कोई शक है?

बिना सोचे-समझे काम करने का नतीजा ऐसा ही होता है।

तभी तो, कुछ कदम उठाने से पहले,

उसके हर पहलुओं को,

ठीक से जांच-परख लेना चाहिए,

जिससे भविष्य में किसी को भी इस तरह मौत को गले लगाना ना पड़े।।

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