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हरेश कुमार
किसने कहा कि तुम बेकार हो?
हम तो कहते हैं कि तुम औरों से ज्यादा समझदार हो।
वक्त रहते तुम्हें अपनी गलतियों का एहसास हो गया, ये क्या कोई कम बात है।
हां, ये अलग बात है कि तुम उतना सफल नहीं जितना हो सकते थे।
खैर, अब रोने का समय नहीं प्यारे। सोचो अपनी कमियों के बारे में।
कहां तुमने गलतियां की। किस मोड़ पर चूक हो गई तुमसे।
फिर उन गलतियों को सुधारने की कोशिश करो।
जी-जान से मेहनत करके अपनी दुनिया को फिर से संवारो।
कौन कहता है कि दुनिया दोबारा बसती नहीं।
गुजरा हुआ जमाना वापस नहीं आता।
मैंने तो कई को फिर से नई दुनिया बसाते देखा है।
अपनी गलतियों से सबक लेकर बुलंदियों पर पहुंचते देखा है।
फिर, निराशा किस बात की।
तब नहीं कर पाए, कोई बात नहीं।
अब तो समझ आ गई प्यारे कि तुम गलत राह पर भटक गए थे।
कुछ पाने की चाह में, कहीं और चले गए थे।
शायद, मंजिल को जल्द से जल्द पाने की चाहत या गलत संगति का असर चाहे जो रहा हो।
अब पुराने वक्त को दोष देने से क्या फायदा?
आज और अभी से नई शुरुआत करो।
और फिर, देखो, दुनिया की कोई भी ताकत तुम्हें, तुम्हारी मंजिल पाने से रोक नहीं सकती।
हमारा मानना है कि तुम औरों से ज्यादा समझदार हो।
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