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सुभाष पार्क मामले में कांग्रेस की सरकार पूर्ण रूप से दोषी
हरेश कुमार
दिल्ली में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में अपने सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी को देखते हुए कांग्रेस एक बार फिर से मुस्लिमों के वोट थोक मात्रा में पाने के लिए मुस्लिम कार्ड का गंदा खेल खेलना शुरू कर दिया है और इस बार उसने दरियागंज क्षेत्र स्थित सुभाष पार्क से लोकजनशक्ति पार्टी के विधायक, शोएब इकबाल के कंधे पर बंदूक रख कर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का खेल शुरू कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि यह जमीन उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आती है जिस पर भाजपा का कब्जा है और सरकारी जमीन पर विधायक के नेतृत्व में अवैध निर्माण कार्य हो रहा है जिस पर कांग्रेस की सरकार ने चुप्पी साध रखी है। वहां, विधायक के नेतृत्व में नमाज भी पढ़ी गई और पुलिस-प्रशासन शीला दीक्षित के इशारे पर चुपचाप तमाशा देख रही थी।
गौरतलब है कि अरब देशों में जब कभी लगता है कि विकास के लिए कोई मस्जिद गिराना है तो उसे तत्काल गिरा दिया जाता है और कोई विरोध भी नहीं होता। लेकिन यहां तो वोटों के सौदागर पहले आग लगाते हैं औऱ फिर दूर खड़े होकर तमाशा देखते हैं। और यहां तो अवैध निर्माण की बात है, इसका मुस्लिमों के नामज पढ़ने व किसी हित से कोई संबंध नहीं है। सभी अगले चुनाव को देखते हुए बस अपने वोट बैंक को मजबूत करना चाहते हैं।
शोएब इकबाल ने पहले से ही घोषणा कर दी थी कि वे नमाज अदा करेंगे औऱ दिल्ली की कांग्रेसी सरकार सब कुछ जानते हुए भी चुपचाप देखती रही क्योंकि नगर-निगम के द्वारा जमीन पर कराए जा रहे अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए अगर कोई भी कार्यवायी की जाती तो इससे उस क्षेत्र के मुस्लिम बिदकेंगे औऱ कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर से चुनावों के दौरान इस मुद्दे को भुनाने का मौका मिल जाएगा। कांग्रेस पार्टी सांप्रदायिकता का कार्ड खेलने में सदा से ही माहिर रही है और इल्जाम सदा भाजपा पर लगाती रही है।
इसके लिए, मेट्रो ने सुभाष पार्क में बनने वाले स्टेशन का रास्ता भी बदल दिया है।
इस देश का भगवान ही मालिक है। वोटों के लिए नेतागण किस हद तक गिर सकते हैं। इस देश ने कई बार इसका नजारा देखा है। एक-दूसरे पर दोषारोपण करना पार्टियों का काम है और इस बीच सारी स्थिति में गरीब और अनपढ़ लोग पीसते हैं और नेताओं का कुछ बिगड़ता नहीं। वे तो बराबर इस ताक में रहते हैं कि कब माहौल को बिगाड़ा जाए औऱ अपना उल्लू सीधा हो। विकास करके तो वे वोट प्राप्त करने से रहे। हां, जैसे ही मौकै मिलता है अपने कुटुंब का विकास बड़ी ही तेजी के साथ करते हैं।
पिछले दिनों, रविवार को जंग समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर, सरमद अली के इस्तकबाल में शामिल होने के लिए मैं सुभाष पार्क (दरियागंज के बगल स्थित/जामा मस्जिद के बगल में) कई गाड़ियों सरकारी और प्राइवेट के शीशे टूटे हुए देखा औऱ पुलिस कर्मियों को भारी तादाद में वहां चहलकदमी करते हुए देखा तो उत्सुकतावश पूछने पर बस के ड्राईवर ने बताया कि रात को 11.30 बजे ये सारा तमाशा हुआ है। इस अप्रत्याशित हमले में कई पुलिसकर्मी गंभीर तौर पर घायल हो गए हैं, ख़बरों के अनुसार एक-दो को तो आंखों में जोर की चोटें भी आई है। सभी पुलिसकर्मी बगल में एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती हैं।
इस देश के नेता वोटों के लिए भाई को भाई से लड़ा देते हैं। सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को बढ़ावा देते हैं, बदले में बस एकमुश्त वोट मिलते रहना चाहिए। फिर तो आपको जो चाहे सारे सरकारी दस्तावेज कथित तौर पर पार्टी कार्यकर्ता उपलब्ध करा देंते हैं भले ही जो इसके वास्तविक हकदार हैं उन्हें यह सुविधा ना मिलता हो?
इसी तरीके से देश में ना जाने कितने अवैध बांग्लादेशी और दूसरे देशों के लोग रहते हैं जिनके पास अब सारे दस्तावेज मौजूद है। भले ही अगर हमको बनाना हो तो हमारे पैरों के चप्पल ऑफिसों के चक्कर काटते घिस जायेंगे।
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