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अपनी कमियों के लिए भाग्य को मत कोसो

http://information2media.blogspot.in/2012/04/blog-
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हरेश कुमार

अगर आप में कुछ कर गुजरने के लिए हौसला व धैर्य है तो किसी से ज्यादा गुजारिश करने की जरूरत नहीं, कहने का सीधी-सादा सा अर्थ यह है कि किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं। भाई मुझे नौकरी दिला दो, या कुछ सहायता कर दो, हम कुछ नया करना चाहते हैं, शुरू में, भले ही कुछ लोग आपको पागल या बेवकूफ समझे लेकिन आपको हर परिस्थिति के लिए, मानसिक और आर्थिक तौर पर तैयार रहना होगा।

शुरुआत में भले ही थोड़ी-बहुत दिक्कत आए लेकिन आपको एक एंटरप्रेन्योर/उद्यमी बनने से कोई रोक नहीं सकता। यहां तक कि आपका भाग्य/किस्मत भी नहीं। क्योंकि किस्मत भी उन्हीं का साथ देती है जो प्रयास करते हैं, जो प्रयास ही नहीं करेंगे उनके लिए तो भगवान भी सारे दरवाजे बंद कर देता है। तो आज से ही शुरू हो जाइये।

शुभ कार्य में कभी भी देरी नहीं होनी चाहिए। जिसने भी इस दुनिया में अपना उद्यम शुरू किया है उसे बहुत पापड़ बेलने पड़े हैं कहने का मतलब कि धक्के खाने पड़े हैं। थाली में रखकर आपके आगे कोई नहीं वो सब रख देगा जिसके लिए आप प्रयासरत हैं।

बचपन में संस्कृत का एक श्लोक पढ़ा था जिसका अर्थ था कि आदमी तीन तरह के होते हैं।

पहली श्रेणी उन लोगों की जो किसी काम की शुरुआत तो बड़े जोर-शोर से करते हैं लेकिन जैसे ही थोड़ी सी समस्या आती है बस हाथ जोड़कर राम-राम कर देते हैं।

दूसरी श्रेणी उन लोगों की जो काम की शुरुआत करते हैं औऱ थोड़ी-बहुत समस्या आने पर उसे झेलते हुए आगे बढ़ते हैं लेकिन जैसे ही कोई बड़ी समस्या आती है वो भाग खड़े होते हैं यानि वो भी हाथ जोड़ लेते हैं।

और तीसरी श्रेणी में वो लोग आते हैं जो चाहे कितनी भी विकट परिस्थिति क्यों ना आए, कुछ भी क्यों ना हो जाए। एक बार, अगर किसी काम को ठान लिया तो बस उसे अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेते हैं।

तो आप किस श्रेणी में हैं ये देखिए और लग जाइये अपने कार्य में।

अपनी विफलता के लिए दूसरों और किस्मत पर दोष देना बड़ा ही आसान कार्य है, लेकिन लोग अपनी कमियों पर कभी ध्यान देने की जरूरत ही नहीं समझते। जबकि सबसे ज्यादा जरूरत इसी बात कि है कि अपनी कमियों पर विचार करके उसे दूर करने का हरसंभव प्रयास करें और फिर देखें कि नतीजा कैसे बदल जाता है।

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